माँ बगलामुखी शत्रु विनाशक कवच – शत्रु बाधा, कोर्ट केस व तंत्र से सुरक्षा के लिए
ध्यान और मंत्र साधना: साधकों को ध्यान और मंत्र साधना के माध्यम से अप्सरा देवियों के संग संवाद करने का अभ्यास कराया जाता है। ध्यान में साधक अप्सरा देवियों के रूप, गुण, और स्वरूप का ध्यान करते हैं और मंत्र जाप के द्वारा उनके संग संवाद करने का प्रयास करते हैं।
कुशासन, रेशमी आसन, ऊनी आसन, म्रगचर्म आसन या व्याघ्र चर्म आसन में से साधना के अनुकूल आसन का चयन करें।
कथाएं और भावना: अप्सराओं की कथाएं अधिक प्रसिद्ध हैं और उन्हें धन, भोग और आकर्षण का प्रतीक माना जाता है। परी की कथाएं भी हैं, लेकिन उन्हें शांति, समृद्धि, और सम्पत्ति का प्रतीक माना जाता है।
ध्यान और मंत्र साधना: अप्सरा साधना में ध्यान और मंत्र साधना का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। साधक को ध्यान और मंत्र जाप के माध्यम से अप्सरा देवियों के संग संवाद करने का अभ्यास करना चाहिए।
शास्त्रों में पवित्र नदियों के किनारे, पर्वतों, जंगलों, तीर्थ स्थलों, गुफाओं आदि को प्राथमिकता दी गई है। इन स्थलों पर मन स्वतः ही एकाग्र होने लगता है।
Partaking Along with the energies of Apsaras can advertise psychological healing, allowing for men and women to release previous traumas and embrace positivity.
कुछ साधक अप्सराओं के साथ शारीरिक संबंध की कल्पना करने लगते हैं, इसलिए ऐसी भावनाओं से बचें, क्योंकि ऐसी भावनाएँ साधना को असफल बना सकती हैं।
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नियमित साधना: साधक को नियमित रूप से साधना करनी चाहिए। यह साधना का अभ्यास नियमितता और निष्ठा के साथ किया जाना चाहिए।
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इसके प्रभाब से पुरूष स्त्री कोई भी हो उसे काम युद्ध में कोई जीत नहीं सकता । यह देबी सुख- शान्ति और समृद्धि प्रदान करती है ।
इस अप्सरा की कामेच्छा कभी शांत नहीं होती सदैब यह कामपीडित बनी रहती है इसीलिए इसका नाम कामेच्छी पडा है। इसका अनुष्ठान सरल है । सोमबार के कमलधारिणी देबी का चित्र ले। एकान्त स्थान पर रात्रि में उक्त मंत्र से पूजा कर ७ दिन तक हकीक माला से ११००० जप करे तो देबी सिद्ध हो जाती है प्रभाब स्वयं पता चलता है ।